सामाजिक व धार्मिक परम्पराओं से इतर मरणोपरांत देहदान का संकल्प लेना एक व्यक्ति के लिए जितना मुश्किल है

 



समाचार विचार/बेगूसराय: सामाजिक व धार्मिक परम्पराओं से इतर मरणोपरांत देहदान का संकल्प लेना एक व्यक्ति के लिए जितना मुश्किल है, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है उस व्यक्ति के परिवार द्वारा इस संकल्प का निर्वहन करना।समाज में सेवा व समर्पण की ऐसी ही मिसाल पेश करने वाले दिवंगत अधिवक्ता भगवानपुर प्रखंड के वनहारा निवासी रहे अवधेश कुमार लाल को साईं की रसोई टीम ने मरणोपरांत "लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड" से सम्मानित किया है। रसोई टीम के सदस्यों ने गुरुवार की देर शाम वनहारा पहुँच दिवंगत अधिवक्ता की अर्धांगिनी कवयित्री मुकुल लाल और पुत्र निरंजन सिन्हा को यह अवॉर्ड सौंपा। इस दौरान ग़मज़दा माहौल के बावजूद अपने पति के किये गये साहसिक व प्रेरणादायी कार्य के लिए किसी सामाजिक संस्था द्वारा उनका सम्मान देख कवि हृदयी मुकुल लाल के चेहरे पर संतोष व गर्व की चमक साफ दिखी। वहीं पुत्र निरंजन सिन्हा व परिवार के अन्य सदस्यों ने रसोई टीम की इस पहल पर आभार जताया। 

सबों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेंगे दिवंगत अवधेश लाल

इससे पूर्व रसोई टीम के सदस्यों ने दिवंगत अधिवक्ता के तैल्य चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। रसोई टीम के सदस्यों ने कहा कि आजीवन न्यायालय में वंचितों व शोषितों की आवाज रहे व मरणोपरांत अपने शरीर का दान करने का संकल्प लेकर वर्त्तमान समाज को महर्षि दधीचि की तरह प्रेरित करने वाले दिवंगत अधिवक्ता अवधेश कुमार लाल पीड़ित मानवता की सेवा के लिए रक्तदान व देहदान के पुनीत कार्य में जुटी संस्थाओं के लिए हमेशा एक प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर याद किये जाएंगे। मौके पर साईं की रसोई टीम के संस्थापक सदस्य अमित जायसवाल, नितेश रंजन, पंकज कुमार और वैभव अग्रवाल मौजूद थे।

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